Friday, February 7, 2014

क्या खाप पंचायत भारतीय संस्कृति का अभिन्न भाग है ?

क्या खाप पंचायत भारतीय संस्कृति  का अभिन्न  भाग है ?

हम देखते है कि आये दिन किसी  ना किसी मुद्दे पर खाप पंचयातो को हसिये  पे रखा जाता है !
# कभी होनर किलिंग  
# कभी तुगलकी फरमान 
# कभी पहनावे आदि 
# कभी दंगा। -----तो कभी कोई आरोप आये दिन पंचायतो पे लग दिए जाते है !
अभी दो दिन पहले ही केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिंदबरम जी ने दिल्ली  में आयोजित छात्रो के कार्यक्रम में पश्चिमी सभ्यता या सेकुलरवाद से प्रभावित बयान दिया जो निम्न है। 

खाप पंचायतें देश कीसंस्कृति का हिस्सा नहीं

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने खाप पंचायतों का पक्ष लेने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। खाप पंचायतों को देश को पीछे ले जाने वाली संस्था करार देते हुए चिदंबरम ने कहा कि ये भारत की संस्कृति का हिस्सा नहीं हो सकती हैं।
दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (सीआरसीसी) में छात्रों को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि खाप पंचायतें हैं क्या। खाप पंचायतें भूतकाल में ले जाने वाली संस्थाएं हैं। ये भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं और जो इन्हें भारत की संस्कृति का हिस्सा बताते हैं, उनसे अपील है कि वे हकीकत को समझें। आखिर ये भारत की संस्कृति का हिस्सा कैसे हो सकती हैं। वित्तमंत्री के बयान को आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस टिप्पणी के संदर्भ में देखा जा रहा है जो उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कही थी। केजरीवाल ने कहा था कि खाप पंचायतों या फिर गैर निर्वाचित सभी पुरूष सदस्यों वाली परिषद पर प्रतिबंध लगाने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि ये सांस्कृतिक उद्देश्यों को पूरा कर रही हैं। खाप पंचायतों का पक्ष लेने के लिए केजरीवाल और आप पर हमला बोलते हुए चिंदबरम ने कहा कि यह पूरी तरह से बकवास बात है। एजेंसी
चिदंबरम ने इन पंचायतों को देश को पीछे ले जाने वाली संस्था बताया

दो दिन बाद हरियाणा सी एम श्री भूपिंदर सिंह हुड्डा जो खुद कांग्रेसी है चिंदंबरम जी के ये समजाया  कि भारत में और खासकर उत्तरी पश्चिमी भारत में आदि काल और मध्य कल /मुग़ल कल से लेकर वर्त्तमान समय में भी  खाप पंचायते एक अहम स्थान रखती है! उन्होंने जो कहा वो कुछ इस प्रकार है। 

Khap Panchayats are NGOs, says Haryana Chief Minister Bhupinder Hooda
Haryana Chief Minister Bhupinder Singh Hooda says Khap Panchayats are a part of Indian culture
Chandigarh Haryana Chief Minister Bhupinder Singh Hooda today described Khap Panchayats as "NGOs" and a part of Indian culture, unfazed by his Congress party's condemnation of the village councils often accused of dispensing medieval-style justice.

"Khap Panchayat is an NGO. It's like if you go to Gurgaon there is a welfare association. Similarly Khap is also an NGO. They are a part of our culture," Mr Hooda told reporters in Chandigarh, openly contradicting his party colleague and union minister P Chidambaram. 

Two days ago, Mr Chidambaram had said it was "appalling" to see anybody say that Khap Panchayats are a part of Indian culture, a direct reference to Arvind Kejriwal's comments in their support. "(There are) many forces (like Khaps) that spread poison. How can someone tell a young girl or a boy what to wear or not? People know what they are expected to do. Who is this khap panchayat to say, do this or do that?" Mr Chidambaram said at a gathering of Delhi college students.

Mr Kejriwal was criticised for saying in an interview that he saw no reason to ban these bodies, as they serve a "cultural purpose". His Aam Aadmi Party clarified later that they don't support any decision that violates law, but also defended the existence of Khaps. "All castes tend to have their social organisations that resolve disputes internally. We certainly acknowledge the right of all such organisations to exist," said the party's Yogendra Yadav.

Khap Panchayats, which are all-male unelected village bodies, are notorious for issuing extra-judicial diktats and even ordering honour killings in parts of rural India, especially in northern states, but they enjoy such political influence that local politicians rarely speak out against them, no matter what their parties say.

खाप पंचायते वर्त्तमान के एन जी ओ संस्थाओे के समतुल्ये है, आजकल तो सरकारी संस्थाए और एन जी ओ को ही विश्वशनीय नहीं कहा जा सकता। 
तो सारी बुराइयां  खाप पंचायतो को क्यों ?

केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिंदबरम जी को इस बयान से पहले इकोनॉमिक्स के अलावा इतिहास का भी ज्ञान लेना चाहिए था, में यहाँ इतिहास से एक वर्णन लेना चाहूंगा जो बहुत कुछ ऐसे लोगो को समझा सकता है। 

सन १३९८ में तैमूर लंग दिल्ली जितने के बाद हरिद्वार को बर्बाद करने के लिए चला तो उसे रोकने कि शक्ति किसी भी उत्तर भारतीये राजा  में न थी , ऐसे समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश के छत्रीय (यादव ,गुर्जर ,जाट और राजपूतो ) ने खाप पंचायत का आयोजन किया और तैमूर लंग को रोकने के लिए एक संघटन बनया जिसका मुखिया जोगराज पवार को बनया गया और महिलाओ ने बढ़ चढ़कर इस युद्ध में पुरुषो का साथ दिया, महिलाओ कि लगभग १५०० कि सेना का नेतृतव महान रामप्यारी ने किया था।इस खाप पंचायत द्वारा बनाये संघटन ने तैमूर लंग और उसकी सेना का जगह जगह रास्ता रोका और गुरिल्ला / छापेमार युद्ध लड़ते हुए, रास्ता बदलने पर  मजबूर कर दिया 

जैसा कि हम सभी जानते है कि भारत में दूरी दूरी पर पानी , भाषा , संस्कृति बदलती है सबके अपने नियम ,कायदे ,समज होता है। 
# खाप पंचायत उत्तर भारत में सामाजिक सोहार्द बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देती है। 
# भारतीये कोर्टो कि लम्बी कानूनी कार्यवाईओ से हम सभी परिचित है, जो फैसले पुलिस या कोर्ट भी नहीं करा    पाते वो ऐसे फैसलो को खाप पंचायतो ने सुलझाया है। 
  यतेन्द्र